कुछ होता क्यों नहीं

 कुछ होता क्यों नहीं

अक्सर लोगों की शिकायत रहती है कि ढेरों उपाय और ज्यादा धन व्यय करके भी कुछ नहीं हुआ या कुछ नहीं होता है और ऐसे में स्वाभाविक है कि सारा दोष उपाय कराने वाले या बताने वाले पंडित, ज्योतिषी, तांत्रिक आदि को दे दिया जाता है, यहाँ विशेष बात यह है कि उपाय कामयाब या कारगर या सफल क्यों नहीं हुआ इसके बारे में कोई भी ईमानदारी से नहीं सोचता है, स्वाभाविक है कि इसके एक नहीं अनेकों कारण होते हैं या हो सकते हैं, ऐसे ही कुछ कारणों पर ईमानदारी से विचार करने का प्रयास करते हैं :- ------------------------ 1. पहली बात यह कि कोई भी व्यक्ति जिस ग्रह से सम्बंधित कोई उपाय करता है तो वर्तमान में कम से कम उस ग्रह के अनुकूल उसके विचार एवं कर्म होने चाहिए जो कि नहीं होते हैं जैसे यदि आप शनि का कोई भी उपाय करते हैं तो विचार और कर्म भी सच्चे और न्यायिक होने चाहिए लेकिन ऐसा होता नहीं है और ऐसा ही शेष सभी ग्रहों के साथ भी होता है 2. दूसरी बात जातक (समस्या से ग्रसित व्यक्ति) कोई भी उपाय आरम्भ करने से पहले ही उसकी सफलता के प्रति पूरी तरह निश्चिन्त हो जाता है और ऐसे में जब सफलता नहीं मिलती तब क्या होता है यह आसानी से समझा जा सकता है 3. तीसरी बात यह है कि जिस प्रकार एक पूर्णतया सफल वकील भी किसी अगले मुकदमे को जीतने की गारंटी नहीं दे सकता, एक पूर्णतया सफल सर्जन भी अगले सर्जरी की सफलता की गारंटी नहीं दे सकता, एक पूर्णतया सफल पायलट अगली फ़्लाइट को सकुशल लैंड करने की गारंटी नहीं दे सकता, एक अति ज्ञानी शिक्षक भी किसी छात्र को पूर्णतया सफल होने की गारंटी नहीं दे सकता, ठीक उसी प्रकार कोई भी उपाय बताने वाला कैसे कोई गारंटी दे सकता है अर्थात ये सभी लोग केवल अपने स्तर पर सफल परिणामों की प्राप्ति के लिए एक ईमानदार प्रयास करते हैं, इस बात को ईमानदारी से अपने को नहीं समझा पाना ही जातक की असंतुष्टि या शिकायत का मुख्य कारण होता है 4. चौथी बात यह है कि जब कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छानुसार अपना जीवन ही नहीं चला सकता तो ऐसे में केवल उपायों से अपनी इच्छानुसार परिणाम कैसे प्राप्त कर सकता है आवश्यक है अपने लिए इस बात को ईमानदारी से समझने की 5. पांचवीं बात यह है कि बहुत से लोगों को यह भ्रम होता है कि ज्यादा महंगें और बड़े उपाय ज्यादा कारगर होगें जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है इसलिए ऐसे किसी भी भ्रम से बचें या बचने का प्रयास करें 6. छठवीं बात यह है कि यदि उपाय पूर्णतया कारगर होते तो कोई भी चुनाव नहीं हारता, कोई भी मुक़दमा नहीं हारता, किसी भी बीमार की मृत्यु नहीं होती लेकिन सर्वविदित है कि ऐसा नहीं होता है 7. सातवीं बात यह कि जीवन कर्म प्रधान है उपाय प्रधान नहीं अर्थात अपने विचार एवं कर्म पर नियमित रूप से चिंतन और मंथन कीजिये हो सकता है कि उपायों की जरुरत ही ना पड़े या उपाय कितने कारगर होंगें इसका पता चल जाएगा 8. आठवीं और महत्वपूर्ण बात यह है कि अधिकांशतः लोग अन्धविश्वास, लोभ, भय, भ्रम या अज्ञानता के कारण किसी शातिर या ढोंगी के शिकार में फंस जाते हैं और ऐसे में परिणाम की कल्पना आसानी से की जा सकती है 9. नवीं और अति महत्वपूर्ण बात यह है कि जन्म चक्र एवं कर्म चक्र को ईमानदारी से समझना होगा और इसके लिए विज्ञान, ज्योतिष और आध्यात्म की शरण में जाना ही होगा अर्थात अपने लिए ईमानदार चिंतन और मंथन सुनिश्चित करना होगा 10. दसवीं और अंतिम बात यह कि विशेष रूप से भारतीय वैदिक ज्योतिष और इससे सम्बंधित किसी भी ज्योतिषी को आप जीवन मार्गदर्शक या परामर्शदाता के रूप में लीजिये ना की किसी चमत्कारिक विषय या व्यक्ति के रूप में अन्यथा आपको निराशा हाथ लगने की पूरी सम्भावना रहेगी ------------------------ आज समाज में आत्मविश्वास बढ़े और अन्धविश्वास भागे इसी के सन्दर्भ में मैनें यह लेख अपने अभी तक के प्राप्त ज्योतिषीय ज्ञान, ज्योतिषीय शिक्षा, ज्योतिषीय अनुभव, सामाजिक अनुभव, एवं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है 🙏🌹🌹🙏 अग्रिम शुभकामनायें सुभाष वर्मा ज्योतिषाचार्य कुंडली, नामशास्त्री, रंगशास्त्री, अंकशास्त्री, वास्तुशास्त्री, मुहूर्त -------------------------------- ज्योतिष सीखें - जागरूक बनें
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