वास्तु का महत्त्व

 

वास्तु का महत्त्व

वास्तु का नाम आते ही सामान्यतः सबसे पहले हमारे दिमाग में ईशान कोण, अग्नि कोण, मुख्य द्वार, खिड़की, दरवाजे, पूजा स्थल आदि का ध्यान आता है अर्थात मकान कैसा बना होना चाहिए लेकिन वास्तु यहीं तक सीमित नहीं है....

वास्तु को हम दो भागों में बाँट सकते हैं, पहला भवन निर्माण का वास्तु और दूसरा उसमें रहने का वास्तु...!

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भवन निर्माण का वास्तु सामान्यतः हमारे नियंत्रण में नहीं रहता है क्योंकि अधिकांशतः लोग बना बनाया मकान लेते हैं या फिर स्थान एवं निर्माण की ऐसी विवशता होती है कि भवन निर्माण वास्तु के अनुरूप हो ही नहीं पाता है अर्थात हम चाह कर भी उसमें कुछ नहीं कर पाते हैं जबकि हमें मालूम भी होता है कि भवन निर्माण में क्या क्या और कहा कहाँ गड़बड़ है....

लेकिन जो उसमें रहने का दूसरा वास्तु है वो पूरी तरह हमारे नियंत्रण में होता है लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि हम इस मामले में सामान्यतः उदासीन ही रहते हैं और परिणाम हमारे सामने होता है लेकिन फिर भी हम समझने तो तैयार ही नहीं होते हैं...!

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सदैव स्मरण रहे कि जीवन में सभगा में वृद्धि और कष्टों में कमी के लिए कर्म के अतिरिक्त वास्तु ही हमारा साथी है इसलिए यदि समय रहते कर्म को वास्तु का साथ मिल जाय तो निश्चित रूप से जीवन में बहुत कुछ बदल सकता है...!

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यदि घर में नकारात्मक वास्तु हो तो परिवार में बिना वजह क्लेश रहता है, विवाहित जीवन में स्थिति सुखद नहीं रहती है, घर में पूरे वर्ष दवाइयां चलती रहती हैं, बच्चों की शिक्षा में अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते हैं, आर्थिक तंगी बनी रहती है, बहुत कुछ चाह कर भी आप कुछ नहीं कर पाते हैं इत्यादि...

यदि इनकी सत्यता को जांचना है तो एक निश्चित अवधि के लिए बारी बारी से सभी दिशाओं में सोना, खाना, पढ़ाई और पूजा स्थल को स्थानांतरित करके परिणाम प्राप्त किया जा सकता है, उत्तम होगा यदि सभी दिशाओं को एक एक माह का समय दिया जाय...!

चार माह बाद यदि आपको लगता है कि कुछ बदलाव आया है तो आप उत्तम परिणामों के लिए तत्काल किसी शिक्षित, ज्ञानी, अनुभवी एवं विश्वसनीय ज्योतिषी या वास्तु सलाहकार से परामर्श प्राप्त कर सकते हैं...!

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मेरा लम्बा ज्योतिष और व्यक्तिगत अनुभव है कि कर्म के साथ सकारात्मक वास्तु से जीवन में बहुत कुछ बदला जा सकता है इसलिए आप सभी को मेरा व्यक्तिगत परामर्श है कि बहुत कुछ खो कर या अत्यधिक देरी से कुछ सीखने या पाने की यदि आपकी प्रवृत्ति है तो समय रहते इससे मुक्त हो जाएँ और वास्तु से जीवन में अधिक से अधिक लाभ उठायें...!

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आज समाज में आत्मविश्वास बढ़े और अन्धविश्वास भागे इसी के सन्दर्भ में मैनें यह लेख अपने अभी तक प्राप्त ज्योतिष ज्ञान, ज्योतिष शिक्षा, ज्योतिषीय अनुभव, सामाजिक अनुभव, एवं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है,

इसलिए उपरोक्त कथन से आप सहमत ही हों ऐसी कोई बाध्यता नहीं है अर्थात उपरोक्त पर सहमति या असहमति के लिए आप पूर्णतया स्वतंत्र हैं...!

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उपरोक्त के परिपेक्ष में और अधिक स्पष्टता के लिए यदि आप स्वयं ज्योतिष सीख लें तो अति उत्तम होगा अन्यथा आप किसी शिक्षित, ज्ञानी, अनुभवी एवं विश्वसनीय ज्योतिषी से समय रहते परामर्श प्राप्त कर निश्चित रूप से अधिक लाभान्वित हो सकते हैं...!

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अग्रिम शुभकामनायें ...!

सुभाष वर्मा ज्योतिषाचार्य

कुंडली, नामशास्त्री, रंगशास्त्री, अंकशास्त्री, वास्तुशास्त्री, मुहूर्त

www.AstroShakti.in 

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